ज़िंदगी की ज़द्दो जहद में लगे लगे यह एहसास ही नहीं हुआ कि कब वक़्त गज़रता गया और रेत मुठ्ठी से सरकती गयी |
ज़िन्दगी के इस मोड़ पर आकर एहसास होता है कि काश!
– कुछ लम्हे ठीक से जी लिए होते!
– छोटी छोटी खुशियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया होता!
– कुछ गलतियों को सुधर लिया होता!
– लोगों से और अच्छे सम्बन्ध बना लिए होते!
– मामूली परेशानियों को मामूली ही रहने दिया होता!
– सबके साथ खुल कर हँस लिया होता!
– रिश्तों को और बारीकी से समझा होता!
– चंद ही सही पर पक्के दोस्त बना लिए होते!
गुज़रा हुआ वक़्त तो लौट के न आएगा पर आरज़ू यही है कि हर लम्हे को अब जी भर के और जिंदादिली से जी सकें!