काश!

ज़िंदगी की ज़द्दो जहद में लगे लगे यह एहसास ही नहीं हुआ कि कब वक़्त गज़रता गया और रेत मुठ्ठी से सरकती गयी |

ज़िन्दगी के इस मोड़ पर आकर एहसास होता है कि काश!

– कुछ लम्हे ठीक से जी लिए होते!

– छोटी छोटी खुशियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया होता!

– कुछ गलतियों को सुधर लिया होता!

– लोगों से और अच्छे सम्बन्ध बना लिए होते!

– मामूली परेशानियों को मामूली ही रहने दिया होता!

– सबके साथ खुल कर हँस लिया होता!

– रिश्तों को और बारीकी से समझा होता!

– चंद ही सही पर पक्के दोस्त बना लिए होते!

गुज़रा हुआ वक़्त तो लौट के न आएगा पर आरज़ू यही है कि हर लम्हे को अब जी भर के और जिंदादिली से जी सकें!

भ्रम टूट गया

जिनको जीवन के इतने वर्ष दिए उन्होंने कभी मुड़कर न देखा

मिलना तो दूर कभी जब हाल तक न पूछा

तो भ्रम टूट गया |

 

अपनों पर अटूट विश्वास किया

पर उन्हीं अपनों ने जब दगा दिया

तो भ्रम टूट गया |

 

जीवन में अपने आप को क़ामयाब समझते थे

पर यह एहसास हुआ जब कि यहाँ कामयाबी

औहदे और पैसो से तोली जाती है

तो भ्रम टूट गया |

 

लोगों ने बहुत उल्टा सीधा सुनाया

पर आज तक कभी पलटकर जवाब नहीं दिया

समझते रहे कि चुप रहने से झगड़े नहीं होंगे और रिश्ते बने रहेंगे

पर जब लोगों ने इसे कमजोरी मान लिया

तो भ्रम टूट गया |

 

बचपन अच्छा बीता दोस्तों के साथ फिर वही दोस्त मिले कई अर्सों के बाद

उन्होंने हंसी मजाक किया पर जब हमारे हंसी मजाक को दिल पे ले लिया

तो भ्रम टूट गया |

 

जीवन में यही चाह थी कि सब खुश रहें

कहीं गलती से भी हमारी वजह से किसी को चोट न पहुंचे

पर जब लोगों ने उसे तारीफ़ बटोरने का नाम दिया

तो भ्रम टूट गया |

 

लोग जो करें वह सही और हम जो करें वह गुस्ताखी

बोलो तो मुश्किल और चुप रहो तो मुश्किल

या खुदा तू ही बता आखिर जिए तो जिए कैसे

जिससे यह भ्रम बना रहे, बना रहे, बना रहे |